अधिकतर यह देखा गया है कि एक बार इलाज होने के बाद ब्रेस्ट कैंसर दोबारा नहीं होता है, लेकिन जिस महिला को एक बार ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है उसे दोबारा होने का डर लगा ही रहता है। यदि ऐसा हो भी जाता है तब इसे “ दूसरी बार का ब्रेस्ट कैंसर “ कहा जाता है।
दोबारा ब्रेस्ट कैंसर होने के लक्षण और निशानियाँ
आमतौर पर दोबारा होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण, पहली बार के ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण के समान ही होते हैं। प्रत्येक महिला के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और यह भी हो सकता है कि दोबारा होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के कोई लक्षण इनमें से कोई भी न हों:
छाती के आसपास दिखाई देने वाले बदलाव:
• छाती या स्तनों में सूजन होना
• स्तनों के आकार और बनावट में बदलाव होना
• त्वचा की बनावट में सलवटों या गड्डे बनना जैसे बदलाव होना
• निप्पल में से तरल पदार्थों का रिसाव होना/निप्पल का अंदर की ओर धंस जाना या उल्टा हो जाना
• एक मोटी गांठ जो थोड़ी अलग से महसूस हो, का निकलना या सूज जाना (यह आपकी इलाज वाली ब्रेस्ट से अलग हो सकता है)
शरीर के दूसरे भागों में बदलाव होना :
• अचानक शरीर के वज़न में या भूख में कमी होना
• लगातार सिर के दर्द का बने रहना और कभी-कभी बहुत तेज़ हो जाना
• सूखी खांसी या सांस फूलना जैसा महसूस होना
• पर्याप्त आराम के बाद भी अत्याधिक थकान का बने रहना
• शरीर में कूल्हे के या छाती के आसपास की हड्डियों में ऐसा दर्द होना जो दर्द निवारक दवाइयों के बाद भी दूर न होता हो
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होता हो, तब आपको यही सलाह दी जा सकती है कि आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें या फिर यदि आप इलाज के बाद नियमित रूप से चेकअप के लिए अस्पताल जा रही हैं तब अपने कैंसर चिकित्सक या नर्स से इस बारे में सलाह ले सकती हैं।
इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें तब क्या करें
सामान्य रूप से यह देखा गया है कि दर्द होना, थकान या सांस फूलने की शिकायत होना आदि पहले हुए ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के साइड इफेक्ट के रूप में हो सकते हैं। लेकिन कुछ स्थितियों में, यह दोबारा होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण भी हो सकते हैं।
कभी यह भी हो सकता है कि जिस ब्रेस्ट कैंसर का इलाज नहीं हुआ हो, उसमें भी कैंसर के कुछ सेल्स के किटाणु पहुँच गए हों। इसलिए इसको भी किमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के इलाज की ज़रूरत हो सकती है।
इसलिए यदि आपको अपने शरीर में कुछ भी असामान्य महसूस होता हो, तब आप तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह करके उनसे आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में पता करें। यदि आप अभी भी इलाज के बाद किए जाने वाले फॉलो-अप में चल रही हैं तब सीधे ही कैंसर चिकित्सक से पूछ सकती हैं। यदि आपके फॉलोअप सत्र पूरे हो चुके हैं तब आप इन लक्षणों के साथ तुरंत अस्पताल से संपर्क करें। अच्छा यही होगा कि आप इन लक्षणों के साथ अपने पहले वाले कैंसर चिकित्सक के पास ही के पास ही जाएँ क्योंकि वो आपके पहले किए जाने वाले इलाज और आपके बारे में सब कुछ अच्छी तराश से जानते होंगे।
ब्रेस्ट कैंसर के दोबारा होने की संभावना
दोबारा ब्रेस्ट कैंसर के होने की संभावना हर महिला की अलग-अलग होती है। यह विभिन्न तथ्यों जैसे पहले हुए कैंसर का आकार, प्रकृति और स्तर के साथ अन्य जुड़े तथ्य व क्या इस समय लिम्फ़ नोड्स भी प्रभावित हुए थे, आदि पर निर्भर करता है। इस स्थिति में महिला के शरीर की जन्मजात जेनेटिक विशेषताएँ भी महत्वपूर्ण रोल निभाती हैं।
आपके ब्रेस्ट कैंसर का उपचार करने वाली टीम आपको अस्पताल से छुट्टी के समय, दोबारा कैंसर के होने की संभावना के बारे में बता देगी। इस बात को ध्यान रखें कि इस बात से आपके ब्रेस्ट पुनर्निर्माण के निर्णय से कोई लेना-देना नहीं है। दोबारा ब्रेस्ट कैंसर के होने की संभावना इलाज के बाद पहले कुछ वर्षों में अधिक होती है और इसके बाद समय के साथ कम होती जाती है।
कुछ स्थितियों में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के काफी समय बाद भी दोबारा इसके उभर आने की परेशानी भी देखी गई है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप हमेशा अपने शरीर और ब्रेस्ट के बारे में जागरूक रहें। इसलिए अगर इसका जल्दी पता लगने के बाद इलाज अगर हो जाता है तब किसी भी स्तर के ब्रेस्ट कैंसर (या किसी भी प्रकार के कैंसर) के मरीज के जीवन की प्रत्याशा अधिक हो जाती है।
अपनी ब्रेस्ट में आए परिवर्तन की जांच कैसे करें
दोबारा होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के कारण होने वाले परिवर्तन की जांच के लिए कोई निर्धारित नियम या फॉर्मूला नहीं है। सर्जरी के बाद आपका प्रभावित क्षेत्र सुन्न हो सकता या फिर आपको वहाँ जलन जैसा एहसास हो सकता है। यह एहसास भी समय के साथ कम होता जाता है।
अपने ब्रेस्ट में होने वाले बदलाव को आप नहाते समय या फिर बॉडी लोशन को लगाते समय चेक कर सकती हैं। यदि आपको ब्रेस्ट में किसी प्रकार का बदलाव और दर्द महसूस होता है तब आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
ब्रेस्ट कैंसर के दोबारा होने वाली चिंता को पीछे छोड़ दें
एक बार ब्रेस्ट कैंसर की पहचान हो जाने के बाद, अक्सर यह देखा गया है कि अधिकतर लोग ब्रेस्ट कैंसर या शरीर में कहीं भी कैंसर के दोबारा होने के डर से भयभीत रहते हैं। बल्कि शुरू-शुरू में तो हल्की खांसी या फ्लू के लक्षणों से भी उन्हें डर लगने लगता है, लेकिन समय के साथ कैंसर के दोबारा होने के डर से मुक्ति मिल जाती है।
अक्सर अस्पताल जाने या फिर किसी निकट संबंधी को कैंसर के बारे में पता चलने पर घबराहट का होना प्राकृतिक ही होता है। धीरे-धीरे आप उनकी तकलीफ को देखकर अपनी तकलीफ के बारे में फिर से सोचने लगती हैं।
निश्चय ही यह तनाव भरा समय होता है। हम सबका इन सब परेशानियों से निपटने का अपना ही एक तरीका होता है और जो हमारे दिमाग में हर समय बेकार के प्रश्न आते रहते हैं आमतौर पर इनका कोई सही जवाब भी नहीं होता है। लेकिन इनके बारे में कुछ न किया जाये, यह भी ठीक बात नहीं है। आपकी जांच और इलाज के बारे में बात करने से शुरुआती दिनों में मदद मिल सकती है और दोबारा उभर कर आने वाले डर के बारे में बात करने में भी बाद में मदद मिल सकती है। ऐसे में जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लगता है आप उनके लिए प्रेरेना का स्त्रोत बन सकती हैं।
फिर भी यदि आप चिंता से मुक्त होने में कठिनाई महसूस कर रही हैं या आपको ऐसा लगता है कि मनोचिकित्सक की मदद से आपको लाभ होता तब विभिन्न ब्रेस्ट कैंसर सहायता ग्रुप से जुड़कर मदद ले सकती हैं।