पूर्ति 06 : ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बच्चों से बात कैसे करें

जहां परिवार के बड़े सदस्य ब्रेस्ट कैंसर की परेशानियों की गंभीरता को अच्छी तरह समझते हैं, वहीं बच्चे अक्सर इस बात को लेकर थोड़े परेशान और कंफ्यूज से रहते हैं। उनका हर समय सवाल पूछने वाला दिमाग उस समय और अधिक परेशान हो जाता है जब उन्हें इस बात का एहसास होता है कि उनके चारों ओर कुछ ऐसा हो रहा है जिसे वो समझ नहीं पा रहे हैं।
आपके लिए यही ठीक रहेगा कि अपनी सेहत की इस स्थिति के बारे में बच्चों को बता दें जिससे वो आपकी सेहत के लेकर थोड़े कम परेशान और बेचेन होंगे बजाए इसके कि उन्हें इस हालत के बारे में बिल्कुल भी कुछ न बताया जाये। किसी भी बात को लंबे समय तक छिपाने से किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता है क्योंकि बच्चों को तो कहीं न कहीं से पता चल ही जाएगा।
बच्चों को इस हालत के बारे में न बताने से हो सकता है कि वो स्वयं को अलग-थलग मान लें जिससे इस स्थिति की गंभीरता और अधिक बढ़ सकती है। इसलिए अच्छा तो यही होगा कि बच्चों को अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में सब कुछ बता दें। आप बच्चों को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में कब और कितना बताती हैं यह पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर करता है।

उन्हें कौन बताएगा और कब यह सोच का विषय है

इस बारे में सबसे अच्छा तरीका तो यही रहेगा कि आप अपने पति और अगर घर में दादा-दादी या नाना-नानी हैं तो सबके साथ बैठकर बिल्कुल शांत मन और बिना दुखी होए बच्चों को इस स्थिति के बारे में समझा दें। बच्चों के लिए एक बुरी खबर को आत्मसात करना उस समय सरल हो जाता है जब यह खबर उन्हें उस व्यक्ति से मिलती है जिसे वह प्यार और जिसपर पूरा विश्वास करते हैं।
यदि आप एक सिंगल पेरेंट हैं और बच्चों के साथ इस बारे में बात करने में थोड़ी परेशानी महसूस कर रही हैं तब आप अपने किसी निकट संबंधी या मित्र की मदद ले सकती हैं। इसके अलावा आप किसी ब्रेस्ट कैंसर के क्षेत्र में सहायता करने वाले किसी ग्रुप की मदद भी ले सकती हैं जो आपके लिए ब्रेस्ट कैंसर से उबर चुके किसी महिला को मिलवा सकते हैं और वो इस संबंध में आपकी मदद कर सकती हैं।
हालांकि ऐसा कोई समय या स्थान निश्चित नहीं होता है कि आपको उसके आधार पर ही बच्चों को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बताना चाहिए, लेकिन फिर भी आप इस बात को बताने के लिए किसी ऐसी जगह का इंतेजाम कर सकती हैं जहां किसी तरह का कोई शोर या हलचल हो। अब बच्चों को इस बीमारी के बारे में क्रम से वह सब कुछ बता दें जो आपको लगता है कि बच्चों को जानना जरूरी है।
इस बातचीत के दौरान हो सकता है आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न रख पाएँ और या तो रोना आ जाये या फिर परेशानी बढ़ भी सकती है। ऐसा होता है तो हो जाने दें। ऐसा होने पर आपके बच्चे भी अपनी भावनाओं और परेशानी को सही रूप में आसानी से बता सकेंगे। फिर भी बच्चों को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बताते समय आपका शांत और स्थिर रहने से बच्चे भी कम डरेंगे या परेशान होंगे।

समझ नहीं आ रहा किन शब्दों में बताएं

आप इस बारे में बच्चों के साथ बातचीत करते समय अधिक मेडिकल या टेक्निकल शब्दों का प्रयोग न करें बल्कि जहां तक हो सकते सरल और साधारण शब्दों का ही इस्तेमाल करें। अगर ज़रूरी समझें तो इस बारे में पहले अपने पति और अगर ठीक समझें तो परिवार के सदस्यों के साथ बात करने का अभ्यास करे लें। इस बात की कोशिश करें कि आप बच्चों को बिना डराए, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर कि बारीकियों के बारे में समझा दें।

बच्चों का ब्रेस्ट कैंसर को लेकर किस प्रकार का व्यवहार होगा

बच्चों का ब्रेस्ट कैंसर के संबंध में होने वाला व्यवहार उनकी आयु, भावनाओं का स्तर, गंभीरता, उनका व्यवहार करने का तरीका और आपके साथ नजदीकी पर निर्भर करता है। उन्हें थोड़ा समय और अवसर भी दें जिससे वो अपनी भावनाओं को आपके सामने व्यक्त कर सकें। इस समय आप उनकी आयु और उसके अनुरूप गंभीरता को देखकर हो सकता थोड़ा हैरान भी हो जाएँ।
उन्हें अपनी भावनाओं को सम्हालने का वक्त दें और उनके साथ किसी प्रकार की ज़बरदस्ती न करें। हो सकता है कि आपके बेटी अपने दोस्तों से इस बारे में बात भी करे। आप उसके अनेक सवालों के जवाब देने के लिए तैयार रहें । अगर आप देखें कि उसके व्यवहार, सोने-जागने या क्लास में ध्यान देने के व्यवहार में अंतर आ रहा है तो डांट-डपट से काम न लें। यह सब किसी अपने से जुड़ी गंभीर परेशानी को सुनने की प्रक्रिया के रूप में भी हो सकता है।
अधिकतर बच्चे उस समय विचलित और परेशान दिखाई दे सकते हैं जब आपका इलाज शुरू होने पर आपके बालों का झड़ना शुरू हो या आपके शरीर में कोई अंतर दिखाई देना शुरू हो जाता है। आप इस समय उन्हें यह बात समझा सकती हैं कि यह सब आपके इलाज के कारण है जिससे आप जल्दी ही स्वस्थ हो जाएंगी।
हो सकता है कि बहुत छोटे बच्चों को कैंसर के बारे में कुछ अधिक ज्ञान न हो। ऐसे में आप जब अस्पताल जाएँ तब उन्हें समझा सकती हैं कि आप जल्दी ही स्वस्थ होकर घर वापस आ जाएंगी। उन्हें कहानियों की मदद से समझाएँ कि आप बीमार हैं और आपका इलाज चल रहा है।
किशोर आयु के बच्चे स्थिति की गंभीरता को आसानी से समझ सकते हैं। उन्हें आप सीधे ही बता सकती हैं कि आपको क्या हुआ है और डॉक्टर्स आपका किस प्रकार इलाज कर रहे हैं। इस उम्र तक आते-आते बच्चों ने कोशिकाओं की बनावट के बारे में थोड़ा बहुत जान लिया होगा तो इस समय आप उन्हें कैंसर संबंधी जानकारी और उससे जुड़े कुछ फ़ेक्ट्स भी बता सकते हैं। उन्हें इसके बारे में जो कुछ उन्हें पता है वो बात करने का मौका दें।
यदि आपका बच्चा अभी 13-15 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंचा है तब वह हो सकता है कि कैंसर, उसके कारण, इलाज और उसके साइड इफेक्ट के बारे में ठीक से न जानता हो। उनके पास कुछ ऐसे वाजीब सवाल भी होंगे जिनका उत्तर आपको देना पड़ सकता है। इस आयु के बच्चे आमतौर पर परिवार में होने वाली कैंसर से जुड़ी बात के लिए वैसे भी अधिक जागरूक और उत्सुक हो सकते हैं। आप उनके साथ जितनी उनके लिए ज़रूरी जानकारी हो, वह सब बता सकती हैं और साथ ही यह भी बताएं कि आप इलाज के बाद बिल्कुल ठीक भी हो जाएंगी।

बच्चों के स्कूल में सूचित करना
अध्यापक:

जब आप लंबे समय के लिए बीमार होती हैं तब इसका बच्चो पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी पढ़ाई और परीक्षाओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए इस संबंध में आप स्कूल में अध्यापकों और सभी ज़रूरी अधिकारियों को सूचित कर दें जिससे वे बच्चे की ठीक से देखभाल कर सकें। यदि आपका बच्चा हाई स्कूल की परीक्षा की तैयारी कर रहा है तब आप उसकी परीक्षा की तैयारी और पढ़ाई में जहां तक हो सकें ध्यान दें।

प्राइवेट ट्यूटर:

आपके बच्चे को घर पर पढ़ाने के लिए प्राइवेट ट्यूटर की व्यवस्था भी हो सकती है। इसके लिए यही सही रहेगा कि आप अपने कैंसर की जानकारी उन्हें भी दे दें। इससे उन्हें परेशानी के समय आपके बच्चे की मदद करने में आसानी हो सकती है।
उन्हें कब तक इलाज चलना है इसकी जानकारी ज़रूर दें जिससे उन्हें कब तक और किस प्रकार मदद देनी है उसके बारे में निर्णय लेकर अच्छी से अच्छी मदद दे सकें।

अपने इलाज के बारे में बच्चों से नियमित बात करती रहें

जब आपको अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लग जाये तब इसकी जानकारी अपने बच्चों को देना, उनके उठते हुए सवालों के जवाब देना और इलाज के दौरान में भी सामान्य व्यवहार को बनाए रखना आपके लिए बहुत मददगार सिद्ध हो सकता है क्योंकि आने वाले समय में आप जब उन्हें और अधिक जानकारी देकर उनसे काम में मदद मांगेगी तब आपको और उन्हें दोनों को ही स्थितीनुसार काम करने में मदद मिल सकती है।
एक बार इलाज हो जाने के बाद आपको कुछ समय बाद तक निरंतर चैकअप के लिए भी जाना होगा। उस समय हो सकता है कि आप अपने किसी बच्चे को अपने साथ ले जाना चाहें और ऐसा करके वो उन बच्चों के लिए भी मददगार बन सकते हैं जो उनके जैसी ही स्थिती में उस समय हों।
यह भी हो सकता हिय कि आपके इलाज के दौरान बच्चों के सामने कुछ ऐसा आए जो उनकी उत्सुकता बढ़ा दे और वो इसके बारे में आपसे प्रश्न पूछें तब बिना किसी परेशानी के उनके इन सवालों के जवाब भी दें। यदि आपका बच्चा किशोर अवस्था में है तब आप उसे अपने साथ अस्पताल में लेकर जाएँ। आमतौर पर यह देखा गया है कि ऐसा करने से परस्परिक सम्बन्धों में दृढ़ता आती है और इससे आपस में विश्वास और बातचीत करने में आसानी तो होती ही है साथ ही परिवार के हर सदस्य के बीच भावनात्मक सम्बन्धों में भी मजबूती आती है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि बच्चों के साथ अपनी तकलीफ को बांटने से न केवल आपको मदद मिलती है बल्कि वे भी आपकी मदद कर सकते हैं।

लेखिका : प्र्त्योशा मजूमदार