ब्रेस्ट की नियमित अपने आप की जाने वाली जांच वह काम है जिसे हर महिला को अपने रोज़मर्रा के काम में शामिल कर लेना चाहिए। इस जांच में अगर थोड़ा सा भी कोई संदेहास्पद पाया जाता है तब (निशानी और लक्षण के लिए यहाँ देखें) इसकी आगे गहन जांच करनी बहुत ज़रूरी होती है। ऐसे में सही समय पर जानकारी लेने के लिए तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर समझिए आपने आधी जंग जो जीत ही ली।
चिकित्सकों का यह मानना है कि किसी भी एक टेस्ट के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर का पता नहीं लगाया सकता है इसलिए अच्छा तो यही होगा कि इस काम के लिए केवल एक्सपर्ट प्रोफेशन्ल्स की मदद से ट्रिपल टेस्ट करवाया जाये। ट्रिपल टेस्ट में लगभग तीन घंटों का समय लग सकता है लेकिन इस टेस्ट में कैंसर जैसी बीमारी के पता लगाने के लिए सभी जरूरी एंगल देख लिए जाते हैं।
प्री-एगज़ामिनेशन स्टडी :
इस टेस्ट को शुरू करने से पहले डॉक्टर आपसे आपके बारे में सब कुछ जानना चाहेंगे। इसके लिए वो आपसे आपके परिवार के बारे में जानना चाहेंगे । इस प्रक्रिया में वो यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि कहीं किसी समय आपके परिवार में किसी सदस्य को कैंसर तो नहीं हुआ था। इसके साथ ही आपके शरीर में उत्पन्न होने वाले सभी लक्षण या कोई और बीमारी जिसका आप सामना कर रहे हों या फिर उसके इलाज के लिए दवा खा रहे हों आदि की जानकारी लेना चाहेंगे।
ट्रिपल टेस्ट
सारी जानकारी लेने के बाद फिर मरीज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इनमें से किसी भी टेस्ट के द्वारा आपकी ब्रेस्ट में होने वाले परिवर्तन के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा। (अगर आपके इनमें से सारे टेस्ट नहीं किया जाता है तब भी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि सभी को इन तीनों टेस्टों की जरूरत नहीं होती है)
1. क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन
सबसे पहले टेस्ट में स्पेशलिस्ट ब्रेस्ट को फिजिकली एग्ज़ामीन करते हैं जिसमें डॉक्टर या नर्स आपकी ब्रेस्ट और उसके आसपास की जगह को ध्यान से देखेंगे। इसके लिए आपसे अपनी छाती के ऊपर के कपड़े हटाने को कहा जाएगा। इसके बाद डॉक्टर आपसे सीधे बैठने या लेटने को कहेगा और आपकी ब्रेस्ट को आपकी गर्दन के पास से लेकर बगलों (जहां लिम्फ़ नोड्स होते हैं क्योंकि कैंसर कभी-कभी लिम्फ़ नोड्स तक फै जाता है )तक अच्छी तरह से एगज़ामिन कर सकती है। इस तरह की जांच में अगर उन्हें कोई शक होता है तब वे अगले टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं।
2. मेमोग्राम
मेमोग्राम दरअसल एक विशेष प्रकार का ब्रेस्ट की इमेज होती है जिसके लिए कैंसर का बिलकुल शुरुआती स्टेज पर ही पता लगाने के लिए ब्रेस्ट का एक्सरे किया जाता है। इस प्रोसेस के परिणाम को ही मेमोग्राम कहा जाता है जिसमें ब्रेस्ट के इंटरनल पार्ट की इमेज आ जाती है। सामान्य रूप से 40 वर्ष की आयु से कम की महिलाओं को नियमित रूप से मेमोग्राम करवाने की सलाह नहीं दी जाती है। इसका कारण यह है कि ब्रेस्ट टिश्यू दरअसल बहुत पास-पास होते हैं लेकिन मेमोग्राम कि प्रोसेस में इन्हें नुकसान पहुँचने का डर होता है। यह प्रोसेस निम्न प्रकार से होता है:
- एक महिला डॉक्टर/टेकनिशयन आपको मशीन के पास खड़े होने में मदद करती है;
- आपको इस टेस्ट के लिए अपनी ब्रेस्ट पर से कपड़ा हटाकर मशीन के सामने खड़े होने को कहा जाएगा। आपके दोनों हाथ मशीन के दोनों ओर लगे हैंडल पर हाथ रखने को कहा जाएगा जिससे हाथ आपके शरीर से थोड़ा दूर हो जाएँ।
- इसके बाद साथ खड़ी नर्स या टेकनीशियन आपको दोनों ब्रेस्ट को मशीन की नीचे वाली प्लेट पर रख देती है। इसके बाद वह मशीन में नीचे वाली प्लेट के ऊपर लगी दूसरी प्लेट को कसकर दबाती है। इस प्रकार दोनों प्लेटों के बीच आई ब्रेस्ट की 2-3 इमेज मशीन के लगे मॉनिटर में आ जाती हैं।
- कुछ महिलाओं के लिए यह पूरी प्रोसेस थोड़े दर्द से भरी हो सकती है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस प्रोसेस में बहुत कम समय लगता है।
3. टिश्यू की जांच
टिश्यू की जांच करने के लिए संक्रमित ब्रेस्ट टिश्यू की जांच माइक्रोस्कोप के नीचे की जाती है। यह बहुत महत्वपूर्ण जांच होती है (किसी भी प्रकार के कैंसर की जांच करने के उद्देश्य से) और किसी भी प्रकार के इलाज को शुरू करने के पहले इसका किया जाना भी जरूरी होता है। टिश्यू जांच निम्न प्रकार से की जाती है:
- एफएनएसी टेस्ट (फाइन निडल एस्पाइरेशन साइटोलोजी)FNAC (Fine Needle Aspiration Cytology):
- फनक टेस्ट को करने के लिए एक साफ सिरिन्ज में लगी सुई के जरिये महिला पेशेंट की ब्रेस्ट के कुछ टिश्यूस को निकाला जाता है। यह टेस्ट केवल तभी किया जाता है जब मेमोग्राम की रिपोर्ट में ब्रेस्ट में किसी प्रकार की गड़बड़ी का अंदेशा होता है।
- इस टेस्ट को करने के लिए आपको सीधा लेटने से कहा जाएगा लेकिन उससे पहले अपने शरीर के ऊपरी हिस्सों पर पहने कपड़े पूरी तरह से हटाने होंगे।
- अब नर्स या डॉक्टर बहुत आराम से वह सुई वाली सिरिन्ज को आपके ब्रेस्ट में अंदर को ओर प्रेस करेंगी और उस सिरिन्ज की मदद से कुछ टिश्यू बाहर निकाल लेगी। इस टेस्ट को करने से पहले सुई को खाली ही दो-तीन बार अंदर-बाहर करके उसमें से खाली हवा को बाहर निकाला जाएगा जिससे टिश्यू को आसानी से उस सिरिन्ज में भरा जा सके।
- इस विधि से लिए गए टिश्यू को एक स्लाइड पर लिया जाएगा और फिर इस स्लाइड को माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाएगा जिससे कैंसर के होने या न होने का पता लगाया जा सके।
- इस टेस्ट में जिस जगह पर टिश्यू निकालने के लिए सुई अंदर लगाई जाती है वहाँ एक स्टिकर लगा दिया जाता है जिसे अगले दिन बाहर निकाल दिया जाता है।
कोर बायोप्सी:
कोर बायोप्सी टेस्ट करने के लिए आपकी ब्रेस्ट का एक छोटा टुकड़ा, ब्रेस्ट की स्किन में कट लगाकर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में एक टूल ‘कोर बायोप्सी गन’ का इस्तेमाल किया जाता है। आपके मेमोग्राम की रिपोर्ट को देखने के बाद ही डॉक्टर/नर्स इस बात का फैसला करते हैं कि ब्रेस्टस्किन का टुकड़ा कहाँ से लिया जा सकता है:
- कोर बायोप्सी शुरू करने के लिए स्किन में कट लगाने से पहले एक इंजेक्शन के द्वारा ब्रेस्ट को सुन्न कर दिया जाता है।
- अब जहां पर स्किन में कट लगाया गया है वहाँ सुई को लगाकर ब्रेस्ट का एक छोटा टुकड़ा बाहर निकाल लिया जाता है। इस पूरी प्रोसेस में आप क्लिक करने जैसी एक आवाज सुन सकती हैं।
- बायोप्सी की प्रोसेस पूरा होने के बाद स्किन में जहां कट लगाया गया है वहाँ पर एक छोटा सा प्लास्टर बैंडेज लगा देते हैं। इसे 2-3 दिन बाद निकाल देते हैं।
- जैसे ही सुन्न करने वाले इंजेक्शन का असर खत्म हो जाता है तब हो सकता है आपके ब्रेस्ट में दर्द महसूस होने लगे, इसके लिए आप डॉक्टर से पूछकर दर्द कम करने वाली दवा ले सकती हैं। आप बायोप्सी वाली जगह पर नील पड़ने जैसा निशान भी बाद में देख सकती हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि कभी-कभी कोर-बायोप्सी करते समय सुई को सही जगह पहुंचाने के लिए एक से अधिक इमेज की जरूरत हो सकती है। इसके लिए मेमोग्राम मशीन का सहारा लिया जा सकता है। इस समय मेमोग्राम प्लेट पर आपकी उस ब्रेस्ट को प्रेस किया जाएगा जिसकी कोर बायोप्सी की जानी है। इस पूरी प्रोसेस को स्टीरोयोटिक कोर बायोप्सी कहा जाता है और हो सकता है इसमें आपको दर्द महसूस हो सकता है।
टेस्ट परिणाम
जिस अस्पताल/क्लीनिक में आपने यह टेस्ट करवाएँ हैं वहाँ का स्टाफ आपको इन टेस्टों के परिणाम कब और कैसे मिलेंगे, की पूरी जानकारी दे देंगे। हर क्लीनिक/अस्पताल का वेटिंग टाइम अलग-अलग होता है। कुछ तो उसी दिन टेस्ट के रिज़ल्ट की जानकारी दे देते हैं। हमारी ओर से आपको यही सलाह दी जाती है कि इन टेस्टों के परिणाम देखते समय आपके पास परिवार का कोई नजदीकी मेम्बर या फिर क्लोज़ फ्रेंड को आपके पास हो, तो अच्छा रहेगा।
- रिपोर्ट में कैंसर नहीं है: इसका मतलब है कि आपकी ब्रेस्ट में आने वाले परिवर्तन या तो सामान्य है या फिर बिननिन कंडीशन के कारण है। आपके डॉक्टर ही आपको बता सकते हैं कि क्या आपको इस कंडीशन के लिए कोई इलाज करवाना चाहिए या नहीं।
- रिपोर्ट में क़ैसर दिखाई देता है : हमारा अनुभव यह कहता है कि जब महिलाओं को उनकी ब्रेस्ट में कैंसर होने का पता लगता है तब वे मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत ज़्यादा कमजोर हो जाती हैं। कुछ को तो अपनी मृत्यु बिलकुल नजदीक ही दिखाई देती है,जबकि कुछ इस समाचार के बाद पत्थर समान जड़ हो जाती हैं। वहीं कुछ महिलाईं क्रोध और डर के कारण इस प्रकार रिएक्ट करती हैं मानो पूछ रहीं हैं कि “मैं ही क्यों”? इस परिणाम के बाद कुछ महिलाएं इस वास्तविकता को स्वीकार करने से ही इंकार कर देती हैं क्योंकि उन्होनें कभी भी अपने शरीर में कुछ अस्वाभाविक महसूस नहीं किया था। कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो परिणाम देखकर संतोष की सांस लेती हैं कि चलो अब अच्छा हुआ जो कैंसर का पता लग गया और अब वे इसका इलाज करवा सकती हैं। जबकि कुछ महिलाएं बिलकुल सुन्न जैसी हो जाती हैं और किसी भी प्रकार का कोई रिएक्शन नहीं देती हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लगने पर अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि आप कभी अपने जीवन में बहुत अधिक निराशा महसूस करती हैं तो वहीं कभी घबरा कर दूसरों पर गुस्सा निकाल सकती हैं।
अगला कदम
कैंसर सर्जन ही आपके रिपोर्ट्स देखकर इस बात का निर्धारण कर सकते हैं कि उन्हें पहले सर्जरी करनी चाहिए या फिर किमोथेरेपी देनी चाहिए। यदि वे पहले सर्जरी का निश्चय करते हैं तब मेमोग्राफी की रिपोर्ट के आधार पर वे इस बात का निश्चय लेते हैं कि उन्हें ब्रेस्ट-कनसरविंग सर्जरी या मास्टेकोमी करना चाहिए या नहीं। अगर वे पहले किमोथेरेपी पहले करने का निश्चय लेते हैं तब वे कोर बायोप्सी करके ब्रेस्ट के पीस को लेब में टेस्ट करने के लिए भेजेंगे और परिणाम आने के बाद वे किमोथेरेपी शुरू कर सकते हैं।
हम अपने आर्टिकल की अगली श्रंखला में ‘ब्रेस्ट कैंसर के समाचार के बाद क्या करें ’, ‘पाइरवार/बच्चों को सूचना देना’, ‘इलाज करवाना’ और इससे जुड़े कुछ और स्थितियों के बारे में बात करेंगे।
लेखिका :प्रत्यूशा मजूमदार